Posts

जानिए क्या है अमरनाथ?? कैसे आया ये तीर्थ अस्तित्व में ??

Image
अमरनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए  अत्यंत पूजनीय है. जिसने भी इस यात्रा के बारे में जाना या सुना है, वह कम से कम एक बार जाने की इच्छा जरूर रखता है. अमरनाथ यात्रा का नाम सुनते ही भोले बाबा शिव शंकर के बर्फ़ से बने विशाल शिवलिंग की छवि आँखों के सामने आ जाती है। इस पवित्र यात्रा को करने के लिए हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिख और अन्य धर्म के लोग भी आते हैं। हिन्दू धर्म में तो इस धार्मिक यात्रा का कुछ ख़ास ही महत्त्व है। दक्षिण कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग भारी बर्फबारी की वजह से इस वर्ष काफी ऊंचा हो गया है, लेकिन तीर्थयात्रा के परंपरागत मार्ग से बर्फ हटाना एक बड़ी चुनौती बनने वाली है। इस वर्ष पवित्र श्री अमरनाथ शिवलिंग की ऊंचाई पिछले कुछ सालों में औसतन 10 से 11 फुट की तुलना में इस बार 13 फुट है। इस वर्ष घाटी में में भारी बर्फबारी हुई है, जिसकी वजह से तापमान कम बना हुआ है और इससे पवित्र शिवलिंग का निर्माण अच्छी तरह हुआ है। इस वर्ष शिवलिंग ऊंचाई अधिक रहने की संभावना है, जिससे अधिक से अधिक तीर्थयात्री आकर्षित होंगे।" शास्त्रों के

अगर आप है परेशान दैनिक जीवन की परेशानियों से तो जानिए कुछ शर्तिया मंत्र और टोटके जो समाधान करेंगे समस्या का

Image
सभा में सम्मान पाने का मन्त्र “तेहिं अवसर सुनि सिवधुन भंगा । आयउ भृगु कुल कमल पतंगा ।।” मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः- शनिवार वाले दिन चौराहे पर बैठकर इस मन्त्र के १०००० जप करें और जब आवश्यकता हो तब, इस मन्त्र को सात बार पढ़कर सभा की तरफ फूँक मार दें । इस मन्त्र के प्रयोग से सभा का स्तम्भन किया जाता है तथा इससे आपके सम्मान में वृद्धि होती है । सकल मनोरथ सिद्धि मन्त्रः- “भव भेषज रघुनाथ जसु, सुनहिं जे नर अरु नारि । तिन्ह कर सकल मनोरथ, सिद्ध करहिं त्रिसरारि ।।” मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः- कामना के अनुसार माला लेकर उससे इस मन्त्र के ५०० जप नित्य करते हुए ३१ दिन तक करें । जब आवश्यकता हो तब पान या इलायची को इस मन्त्र से शक्तिकृत करके उस व्यक्ति को खीलायें, जिससे कार्य करवाना हो । इस मन्त्र के प्रयोग से सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं । वशीकरण का मन्त्रः- “जन मन मंजु मुकुर मल हरनी । कियें तिलक गुन गन बस करनी।।” मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः- किसी ग्रहण काल के पूर्ण समय में इस मन्त्र के लगातार जप करते रहें और जब आवश्यकता हो तब गोरोचन को घिस करके इस मन्त्र से सात बार शक्तिकृ

क्या होती है शाबर मंत्र साधना? कैसे करे शाबर मंत्र साधना?

Image
इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकती है। इन मन्त्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक रहे हैं। इतने पर भी कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि किसी होनेवाले विक्षेप से वह बचा सकता है। साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग का आसन उपयोग में लिया जा सकता है। साधना में जब तक मन्त्र-जप चले घी या मीठे तेल का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए। एक ही दीपक के सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है। अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर-मन्त्र-साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गई है। जहाँ ‘दिशा’ का निर्देश न हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनी चाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें। जहाँ ‘माला’ का निर्देश न हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। ‘रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। वैष्णव देवताओं के विषय में ‘तुलस

जानिए क्या है नाथ संप्रदाय?

Image
यह सम्प्रदाय भारत का परम प्राचीन, उदार, ऊँच-नीच की भावना से परे एंव अवधूत अथवा योगियों का सम्प्रदाय है। इसका आरम्भ आदिनाथ शंकर से हुआ है और इसका वर्तमान रुप देने वाले योगाचार्य बालयति श्री गोरक्षनाथ भगवान शंकर के अवतार हुए है। इनके प्रादुर्भाव और अवसान का कोई लेख अब तक प्राप्त नही हुआ। पद्म, स्कन्द शिव ब्रह्मण्ड आदि पुराण, तंत्र महापर्व आदि तांत्रिक ग्रंथ बृहदारण्याक आदि उपनिषदों में तथा और दूसरे प्राचीन ग्रंथ रत्नों में श्री गुरु गोरक्षनाथ की कथायें बडे सुचारु रुप से मिलती है। श्री गोरक्षनाथ वर्णाश्रम धर्म से परे पंचमाश्रमी अवधूत हुए है जिन्होने योग क्रियाओं द्वारा मानव शरीर महा शक्तियों का विकास करने के अर्थ संसार को उपदेश दिया और हठ योग की प्रक्रियाओं का प्रचार करके भयानक रोगों से बचने के अर्थ जन समाज को एक बहुत बड़ा साधन प्रदान किया। श्री गोरक्षनाथ ने योग सम्बन्धी अनेकों ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखे जिनमे बहुत से प्रकाशित हो चुके है और कई अप्रकाशित रुप में योगियों के आश्रमों में सुरक्षित हैं। श्री गोरक्षनाथ की शिक्षा एंव चमत्कारों से प्रभावित होकर अनेकों बड़े-बड़े राजा इनसे दीक

जानिए गृह प्रवेश के लिए 2018 के शुभ महूरत

किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए एक विशेष मुहूर्त का आंकलन किया जाता है जिसे आप और हम शुभ मुहूर्त कहते है। माना जाता है शुभ मुहूर्त में किये गए प्रत्येक काम में वृद्धि होती है और उस चीज से कभी भी हानिकारक परिणाम नहीं मिलते। जिस प्रकार शादी विवाह में कुंडली मिलान करके शुभ विवाह का मुहूर्त ज्ञात किया जाता है। उसी प्रकार नए घर में प्रवेश यानी गृह प्रवेश के लिए भी विशेष मुहूर्त निकाला जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस मुहूर्त की गणना पंचांग शुद्धि और पञ्चाङ्गं शुद्धि के बाद की जाती है। पंचांग शुद्धि न केवल गृह प्रवेश के लिए विशेष तिथि बताती है अपितु गृह प्रवेश की पूजा, हवन और वास्तु शांति पूजा का शुभ समय भी बताती है। प्रत्येक वर्ष गृह प्रवेश के मुहूर्त नक्षत्र और तिथियों के हिसाब से बदलते रहते है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री यहाँ आपको वर्ष 2018 के लिए गृह प्रवेश के विशेष मुहूर्त, उनके समय, तिथि और नक्षत्रों के साथ बता रहे है। जिनके अनुसार आप अपने नए घर में प्रवेश कर सकते है। लेकिन एक बात का ध्यान रखे, गृह प्रवेश का मुहूर्त निश्चित करने से पूर्व एक बार

शीघ्र विवाह के लिए सरल एवं आसान ज्योतिषीय उपाय एवम वास्तु टिप्स

Image
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्रीके अनुसार कई बार ये रूकावट बाहरी बाधाओं की वजह से भी आती हैं. उम्र लगातार बढती जाती है और लाख प्रयास के बाद भी रिश्ते बन नहीं पाते हैं या मनचाहे रिश्तों का तो जैसे अकाल ही पड़ जाता है । इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने में समझदारी रहती है. इन उपाय को करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है, तथा विवाह मार्ग की समस्त बाधाएं दूर होती है| जन्म कुंडली में जब विवाह भाव का स्वामी ग्रह जिस समय गोचर में अस्त या वक्री हो, उस समय विवाह की बातचीत नहीं करनी चाहिए। ऐसे समय में विवाह तय होने की संभावना निर्बल रहती है। गोचर में जब विवाह भाव का स्वामी बली हो, उस समय विवाह की बातचीत करने से सकारात्मक परिण् ााम सामने आते हैं। यदि शनि ग्रह के विवाह भाव में होने के कारण या उस पर शनि की दृष्टि के कारण विलंब हो रहा हो तो कन्या को शनिवार को कड़वे तेल में अपनी परछाईं देखकर तेल दान करना चाहिए। यह प्रयोग सात शनिवार को निंरतर करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सर्वप्रथम जन्मकुंडली का सूक्ष्म अध्ययन कर यह पता लगाना चाहिए कि व्यक्त

अपनी जन्म कुंडली से जानिए आपका विवाह कहा होगा? आपके घर से कितनी दुरी पर होगा?

Image
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि कन्या को जन्म कुंडली के सप्तम भाव में अगर वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ राशि स्थित हो, तो लड़की की शादी उसके जन्म स्थान से 90 किलोमीटर के अंदर ही होगी। यदि सप्तम भाव में चंद्र, शुक्र तथा गुरु हों, तो लड़की की शादी जन्म स्थान के समीप होगी। यदि सप्तम भाव में चर राशि मेष, कर्क, तुला या मकर हो, तो विवाह उसके जन्म स्थान से 200 किलोमीटर के अंदर होगा। अगर सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि स्थित हो, तो विवाह जन्म स्थान से 80 से 100 किलोमीटर की दूरी पर होगा। यदि सप्तमेश सप्तम भाव से द्वादश भाव के मध्य हो, तो विवाह विदेश में होगा या लड़का शादी करके लड़की को अपने साथ लेकर विदेश चला जाएगा। जानिए जन्म कुण्डली से आपकी शादी की आयु- ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि जातक या जातका की जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में सप्तमेश बुध हो और वह पाप ग्रह से प्रभावित न हो, तो शादी 13 से 18 वर्ष की आयु सीमा में होता है। सप्तम भाव में सप्तमेश मंगल पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो शादी 18 वर्ष के अंदर होगी। शुक्र ग्रह